~ कार्य कारण से बड़ा क्यों नहीं हो सकता?
~ जो हमारी कल्पना से उठा है वो हमसे बड़ा तो हो नहीं सकता।
~ जो हमारे मन से रचा है वो हमसे बड़ा तो हो नहीं सकता।
~ जो हमसे बड़ा नहीं वो हमें कैसे बचा सकता है?
~ अपने नाड़े के भरोसे प्रकृति के प्रवाह में न बहें।
~ अहम और प्रकृति को अस्तित्वगत समझना आभासिक द्वैत है जो कि मूल सत्य को नहीं जानने देता।
~ नई पीढ़ी का ये सौभाग्य होता है कि उसके पास पुरानी सब पीढ़ियों का ज्ञान उपलब्ध होता है।
संगीत: मिलिंद दाते
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